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नशीली दवाओं और मादक द्रव्यों का सेवन एक गंभीर समस्या है जो देश के सामाजिक ताने-बाने पर प्रतिकुल प्रभाव डाल रही है। नषे की लत न केवल व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है बल्कि उनके परिवार और पूरे समाज को भी प्रभावित करती है। हाल ही में युवा पीढी में नशीली दवाओं के दुरूपयोग का खतरा भी पूरी दुनिया में बढ़ रहा है और भारत, राजस्थान एवं हमारा जिला भी इससे अछुता नहीं है। नशीली दवाओं पर निर्भर व्यक्तियों को निवारक शिक्षा, जागरूकता सृजन, पहचान, परामर्ष, उपचार और पुनर्वास और सहायोगात्मक प्रयासों के माध्यम से सेवा प्रदाताओं के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए नशा मुक्त अभियान कार्ययोजना का निर्माण एवं क्रियान्वयन किया जाना वर्तमान समय की आवष्यकता है। जिसका उददेष्य संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन और मौजूदा एनडीपीएस अधिनियम की भावना के अनुसार नशीली दवाओं की मांग में कमी एवं उपचारात्मक शिक्षा, नशामुक्ति और पुनर्वास से जुडी बहुआयामी रणनीति के माध्यम से नशीली दवाओं के दुरूपयोग के प्रतिकूल परिणामों को कम करना है।
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नशीली दवाओं और मादक द्रव्यों का सेवन स्कूल और स्कूल/कॉलेज के बाहर बच्चों और युवाओं को प्रभावित करने वाली प्रमुख समस्याओं में से एक है। यह समस्या शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक आदि सभी आयामों पर नाकारात्मक प्रभाव डालती है। यह देखा गया है कि युवाओं में नशीली दवाओं और मादक द्रव्यों को सेवन साक्षरता स्तर, साथियों के दबाव, जिज्ञासा या प्रयोग करने की इच्छा से प्रभावित होता है। नशीली दवाओं और पदार्थांे की सहज उपलब्धता भी नशा पृवति को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका अदा करता है। जिले मंे पंजाब और हरियाणा राज्यों कि सीमा लगने से जिले में पिछले कुछ वर्षा से नषे की प्रवृति बहुत अधिक बढी है नषे की बढती हुई इस प्रवृति से जिले के व्यक्तियों विषेशकर युवा पीढी पर काफी दुष्प्रभाव देखने को मिले है इन दुष्प्रभावों की रोकथाम हेतू नशामुक्त अभियान कार्ययोजना तैयार की गई है।
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नषे पर लोगों की निर्भरता पैदा करने वाले पदार्था की मांग को कम करने में सामुदायिक भागीदारी और सार्वजनिक सहयोग को बढ़ाने और व्यसन के प्रति संवेदनशील या जोखिम में पाए जाने वाले व्यक्तियों और समुहों के मध्य सामुहिक पहल एवं सामाजिक सहभागिता से नशा प्रवृति के विरूद्व सुढृढ़ एवं सुव्यवस्थित प्रयासों को बढावा देने के उद्येष्य से संपूर्ण जिले में नशा मुक्ति अभियान संचालित कर लोगो को नषे के विरूद्व निदानात्मक शिक्षा उपलब्ध करवाने एवं जनजागरूकता पैदा करने, क्षमता निर्माण करने, नशाग्रस्त व्यक्तियों को उचित उपचार एवं पुनर्वास उपलब्ध करवाने के लिए कार्ययोजना अनुसार कार्यक्रम संपादित किया जाना आवष्यक है।
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